राग दरबारी हिन्दुस्तानी शाष्त्रीय संगीत के प्रचलित रागों में से एक है. इस राग का प्रयोग फ़िल्मी गानों, भजनों और नॉन फ़िल्मी गानों में खूब होता आया है. आइये इस अध्याय में हम जानते हैं की राग दरबारी के आरोह अवरोह क्या हैं, इसे गाने का समय क्या है और इस राग की अन्य विशेषताएं क्या हैं.
राग दरबारी का थाट असावरी है और इसे मध्य रात्रि में गाना चाहिए। इस राग की रचना की बात करें की इसका श्रेय तानसेन को जाता है। इस राग में आरोह में कोमल ग और कोमल ध आंदोलित होता है. इसमें ग ध और नी कोमल लगते हैं और बाकी सभी स्वर शुद्ध लगते हैं। चलिए अब इस राग की अन्य खूबियाँ इस इस चार्ट के माध्यम से समझते हैं।
Raag Darbari Notes in Hindi | Raag Darbari Aroh Avroh
आरोह | सा रे ग (कोमल) म प ध (कोमल) नी (कोमल) सा’ |
अवरोह | सा’ ध (कोमल), नी (कोमल) प, म प, ग (कोमल) म रे सा |
पकड़ | सा रे ग रे सा ध नी रे सा |
थाट | असावरी |
वादी | रे |
संवादी | प |
वर्जित स्वर | कोई नहीं |
जाती | सम्पूर्ण |
गायन का समय | रात्रि का तीसरा प्रहार |
राग दरबारी के ऊपर आधारीत गानों की लिस्ट बड़ी लम्बी है नीचे दिए गए कुछ गाने इसके उदहारण हैं.
- ओ दुनिया के रखवाले : इस गाने को मोहम्मद रफ़ी नें फिल्म बैजू बावरा में गाया था जो काफी लोकप्रिय हुआ था.
- झनक झनक तोरी बाजे पायलिया : मेरे हुज़ूर फिल्म के लिए मन्ना डे की आवाज़ में गाया गया ये गाना राग दरबारी की खूबसूरती को पेश करता है.
- मोरा मन दर्पण कहलाये : इस गाने को आशा भोसले नें काजल फिल्म के लिए गाया था.
- दईया रे दईया लाज मोहे लागे : ये गाना मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर की आवाज़ में है जो राग दरबारी का एक बेहतरीन मिसाल है.
What is the name of main swar in raag?
Sa Re Ga Ma Pa Dha Ni सा रे ग म प ध नी
Darbari raag kab gaya jata hai?
रात्रि का तीसरा प्रहार
Conclusion:-
आज आपने raag darbari aaroh avroh के बारे में सीखा. हमें उम्मीद है की आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारियां अच्छी लगी होंगी. रोज़ संगीत के बारे में कुछ नया सीखने के लिए हमें सब्सक्राइब करना ना भूलें.
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