भारत एक ऐसा देश है जहाँ संगीत को ईश्वर की आराधना का एक माध्यम माना गया है. अलग अलग समय पर अलग अलग राग गाने का प्रचलन यहाँ की संकृति का हिस्सा है. हिन्दुस्तानी संगीत के साथ साथ भारत में लोकगीत ( LogGeet ) भी खूब गाये जाते हैं. इनमे से कुछ लोकगीत तो हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत से प्रेरित होते हैं और उनमे रागों का प्रयोग भी होता है.
लोकगीत क्या है
लोकगीत लोक और गीत इन दो शब्दों से मिलकर बनता है जिसका अर्थ है लोक के गीत। लोक शब्द किसी स्थान के लोगों का पर्याय है यानि की गाँव और नगर की जनता और गीत यानि संगीत. किसी भी जगह के लोकगीत में उस स्थान के लोगों की भावनाएं और स्थितियों का वर्णन होता है. जैसे अगर आप मराठी लोकगीत सुनेंगे तो उन गानों में महाराष्ट्र के स्थानों और लोगों की भावनाओं का जिक्र होगा. उसी प्रकार अगर आप भोजपुरी लोकगीत सुनेंगे तो उसमे बिहार उत्तर प्रदेश के स्थानीय लोगों की भावनाएं प्रकट होंगी.
लोकगीत आम इंसान की जीवनी से जुड़ा होता है और ये उस जगह की संस्कृति को भी प्रस्तुत करता है. आपने अक्सर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की परेड में भारत के विभिन्न राज्यों की झांकियां देखी होंगी. इसमें भिन्न भिन्न प्रकार के संगीत भी प्रस्तुत किये जाते हैं इन्हें ही लोकगीत कहा जाता है. लोकगीत में कलात्मक और संगीतमय तरीके से क्षेत्रीय विचारों को प्रकट किया जाता है.
लोकसंगीत के प्रकार
लोकसंगीत में मुख्य प्रकार नीचे दिए गए हैं
- लोकगीत – गायन
- लोकनृत्य – नृत्य
- लोकवाद्य – वादन
विभिन्न अवसरों के हिसाब से लोकगीतों का वर्गीकरण
परिवारीक लोकगीत
ये शादी विवाह या परिवार में होने वाले कार्यक्रमों में गाये जाते हैं. इस प्रकार के लोकगीतों को पुरुष के साथ साथ महिलाएं भी काफी मात्रा में गाती हैं.
प्रकृति सम्बन्धी लोकगीतों
इस प्रकार के लोकगीत खेती करते समय, अनाज बोने के समय और काटने के समय, अलग अलग ऋतुओं के आगमन पर और प्रकृति को प्रसन्न करने के उद्देश्य से गाये जाते हैं.
धार्मिक लोकगीत
धार्मिक लोकगीत देवी देवताओं की आराधना के लिए गाये जाते हैं. इसे आप सरल भाषा में भजन कह सकते हैं जिसमे किसी विशेष स्थान के देवी देवताओं की पूजा अर्चना शामिल होती है.
विविध विषयक लोकगीत
ऊपर दिए गए तीन प्रकार के लोकगीतों के अलावा एक चौथा प्रकार भी है जो किसी भी विषय पर हो सकता है. इसमें किसी भी चीज़ के ऊपर लोकगीत गा सकते हैं जैसे प्रेम प्रसंग, पशु पक्षी, नर – नारी या अन्य कोई भी विषय.
लोकगीतों की खासियत क्या है?
- लोकगीत की कुछ ४-५ धुन ही होती हैं
- कुछ धुनों पर हजारों लोकगीत बनाये जा सकते हैं
- लोकगीत को गाना सरल होता है ताकि इसे कोई भी गा सके
- लोकगीत बहुत ही सुरीला और मन को छूने वाला होता है
- लोकगीत एकल और सामूहिक दोनों प्रकार के होते हैं
- लोकगीत में मधुरता का विशेष ध्यान रखा जाता है
- लोकगीत क्षेत्रीय भाषा में होते हैं
लोकगीत का महत्व
लोकगीत किसी भी स्थान की भाषा, सभ्यता, संस्कृती, रहन सहन, विचार और भावनाओं को व्यक्त करता है. ये सरल भाषा में साहित्य के माध्यम से अपनी बात कहने की एक शैली है. प्राचीन काल से ही भारत और कई देशों में लोकगीत और लोकनृत्य का महत्व रहा है. भारत में कई प्रकार के लोकगीत मशहूर हैं जिनमे कुछ विशेष लोकगीत इस प्रकार हैं.
- राजस्थानी लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- जयसिंह राजा के लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- मारवाड़ी लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- सिक्किम का लोकगीत
- आदिवासी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- सोहर लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- होली लोकगीत
- मराठी लोकगीत
ऊपर दिए गए लोकगीतों के अलावा भी कई सारे लोकगीत हैं. इस समय सिर्फ भारत में १०० से भी अधिक प्रकार के लोकगीत गाये जाते हैं. लोकगीतों की एक खासियत ये भी है की लोकगीत चाहे किसी भी भाषा में हो इन्हें सुनने में आपको बहुत अच्छा लगेगा. इसका कारन ये है की लोकगीतों की प्रस्तुति में देसी वाद्ययंत्रों का प्रयोग होता है.
ज़्यादातर लोकगीतों में ढोलक, तबला, हारमोनियम, बेन्जो, झांझर, करताल, चिमटा, झाल, शहनाई, सारंगी, संतूर और सितार जैसे देसी वाद्ययंत्र बजाये जाने की वजह से लोकगीत बहुत ही मीठे और मन को सुकून देने वाले होते हैं.
तो ये थी जानकारी लोकगीत के बारे में. अगर हमारे द्वारा दी गयी जानकारियां आपको अच्छी लगी हो तो आप हमें ईमेल फॉर्म के माध्यम से सब्सक्राइब कर सकते हैं.